निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
दो व्यक्ति कमरे में कमरे से छोटे कमरा है घर में,
घर है मोहल्ले में मोहल्ला नगर में नगर है प्रदेश में
.
प्रदेश कई देशों में, देश कई पृथ्वी पर, अनगिनत नक्षत्रों में
पृथ्वी एक छोटी करोड़ो में एक ही सबको समेटे है परिधि नभ गंगा की,
लाखों ब्रह्मडों में अपना एक ब्रह्मांड, हर ब्रह्मांड में कितनी ही
पृथ्वियाँ कितनी ही भूमियाँ, कितनी ही सृष्टियाँ यह अनुपात
है आदमी का विराट से, इस पर भी आदमी ईर्ष्या, अहम
स्वार्थ, घृर्णा, अविश्वाश-लीन संख्यातीत शंख-सी दीवारें उठाता है
अपने को दूजे का स्वामी बताता है, देश की कौन कहे,
एक कमरे में दो दूनिया रचाता है।
1. कविता के अनुसार हमारा घर कहाँ बसा है?
2. कवि की वेदना क्या है?
3. आदमी अपने को दूजे का स्वामी क्यों बताता है?
4. कौन से अवगुण भेदभाव पैदा करते है?
5. नक्षत्रों की संख्या कितनी है?
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1. कवि के अनुसार हमारा घर मोहल्ले में, मोहल्ला नगर में , नगर प्रदेश में, प्रदेश देश में, देश पृथ्वी में बसा है
2. आदमी एक दूसरे से ईर्ष्या करता है, एक दूसरे को स्वामी बताता है।
3. अहम के कारण
4. ईर्ष्या, अहम , स्वार्थ, घृणा
5. अनगिनत
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