Hindi, asked by seemadevi12382, 3 months ago

रे चित चेति कहिं अचेत काहे, बालमीकहिं देखि रे।
जाति थें कोई पदि न पहुच्या, राम भगति बिसेषरे
षटक्रम सहित जे विप्र होते, हरि भगति चित द्रिढ़ नांहि रे।
हरिकथा सुहाय नांहीं, सुपच तुलै तांहि रे।।
मित्र सत्रु अजाति सब ते, अंतरि लावै हेत रे।
लोग बाकी कहा जानें, तीनि लोक पवित रे।।
दियो
अजामिल गज गनिका तारी, काटी कुंजर की पासि रे।
ऐसे दुरमति मुकती किये, तो क्यूँ न तिरै रैदास रे। summary please ​

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Answered by wanisham12
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I don't no answer for you

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