निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
सागर निज छाती पर जिनके,
अगणित अर्णव-पोत उठाकर ।
पहुँचाया करता था प्रमुदित,
भूमंडल के सकल तटों पर ।।
नदियाँ जिसकी यश-धारा-सी
बहती हैं अब भी निशि-वासर ।
ढूँढ़ो, उनके चरण-चिन्ह भी
पाओगे तुम इनके तट पर ।।
Answers
निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या और उसका काव्यगत-सौन्दर्य
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियों में भारत के अतीत की गरिमापूर्ण झांकी प्रस्तुत की गई है|
व्याख्या : हमारे पूर्वज ऐसे थे की स्वयं समुद्र भी उनकी सेवा में तत्पर रहता था| वह अपनी छाती पर अनेक संख्या जहाजों को उठाकर प्रसन्नता के साथ पृथ्वी एक कोने से दूसरे कोने पर स्थित बंदरगाहों पर पहुंचाया करता था|
इस देश में रात-दिन बहती हुई नदियों की धारा मानो हमारे उन पूर्वजों का यशोगान गति जाती थी| हमें पूर्वजों की याद दिलाती है , जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा के लिए अर्पित कर दिया|
हमारे ऐसे पूर्वज धन्य थे, हमारे ऐसे पूर्वज , जिनका समपर्ण , उत्साह , हिम्मत और शोर्य सबसे अलग था | कवि को विश्वास है की उनके चरण-चिन्ह आज भी हमारी नदियों और समुन्द्रों के तटों पर मिल जाएँगे | यदि आज भी हम अपने पूर्वजों का अनुसरण करेंगे तो आपको उनका मार्गदर्शन के चिन्ह अवश्य मिलेंगे |
काव्यगत-सौन्दर्य
- पूर्वजों की गोरव-गाथा का सजीव और आलंकारिक वर्णन किया गया है |
- भाषा-सरल , सुबोध तथा साहित्यिक खड़ीबोली |
- रस -वीर
- गुण-ओज
- अलंकार- अनुप्रास , नदियाँ जिसकी यश-धारा-सी में उपमा तथा रूपक है |
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
अगर धीरे चलो
वह तुम्हें छू लेगी
दौड़ो तो छूट जाएगी नदी
अगर ले लो साथ
वह चलती चली जाएगी कहीं भी
यहाँ तक-कि कबाड़ी की दुकान तक भी ।
हिन्दी-व्याख्या |
Explanation:
प्रसंग: दी गई पंक्तियों में, भारत के अतीत की गरिमापूर्ण झांकी को प्रस्तुत किया गया है।
व्याख्या: हमारे पूर्वजों के कार्यों से समुद्र भी खुश थे इसलिए वे उनकी सेवा में तत्पर रहते थे। समुद्र अपनी छाती पर अनगिनत जहाजों को उठाकर खुशी से एक छोर से दूसरे छोर अर्थात बंदरगाह पर पहुंचाते थे। इस देश में, नदियों की बहती धारा मानो हमारे पूर्वजों का यशोगान करती हैं।
धन्य है हमारे ऐसे पूर्वज जिनका उत्साह, समर्पण और शौर्य अनोखा था। कवि का मानना है कि हमारे पूर्वजों के चरण चिन्ह आज भी हमें नदियों और समुद्र में मिल जाएंगे।
इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि यदि हम अपने पूर्वजों का अनुसरण करेंगे तो वे हम अपना मार्गदर्शन अवश्य देंगे।
काव्यगत सौंदर्य: इन पंक्तियों में, पूर्वजों की गाथा का सजीव वर्णन किया गया है।
- भाषा सरल और साहित्यिक खड़ीबोली है।
- वीर रस ।
- भावात्मक शैली।
- अनुप्रास अलंकार, उपमा तथा रूपक अलंकार।
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए–
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