Hindi, asked by rishi2752, 8 months ago

निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
मेरे जीवन का आज मूक,
तेरी छाया से हो मिलाप;
तन तेरी साधकता छू ले,
मन ले करुणा की थाह नाप ।
उर में पावस दृग में विहान ।

Answers

Answered by amitnarayan146
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Answered by bhatiamona
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प्रसंग: इन पंक्तियों में कवयित्री की महानता का वर्णन करती हुई अपने जीवन को हिमालय के समान ढालना चाहती है|

व्याख्या: महादेवी जी अपने जीवन को हिमालय की छाया में मिला देना चाहती है| अर्थ यह है की वह हिमालय के सद्गुणों को अपने आचरण में उतारना चाहती है | इसलिए वह हिमालय से कह सकती है , की मेरी कामना है की मेरा शरीर भी तुम्हारी तरह कठोर साधना-शक्ति से परिपूर्ण से हर हृदय से तुम्हारी जैसी करुणा का सागर भर जाए | मेरे हृदय में तुम्हारे जैसी करुणा की बरसात के कारण सरसता बनी रहे , परंतु आँखों में ज्ञान की ज्योति जगमगाती रहे|

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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—

जब तक साथ एक भी दम हो,

हो अवशिष्ट एक भी धड़कन ।

रखो आत्म-गौरव से ऊँची

पलकें, ऊँचा सिर, ऊँचा मन ।।

एक बूँद भी रक्त शेष हो,

जब तक मन में हे शत्रुंजय ।

दीन वचन मुख से न उचारो,

मानो नहीं मृत्यु का भी भय ।।

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