निम्नलिखित संस्कृत-पद्यांश/श्लोक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए—
यथा सोम्यैकेन नखनिकृन्तनेन सर्वैं कार्ष्णायसं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं
विकारो नामधेयं कृष्णायसमित्येव सत्यमेव सोम्य स आदेशो भवतीति ।।
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यथा सोम्यैकेन नखनिकृन्तनेन सर्वैं कार्ष्णायसं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं।
विकारो नामधेयं कृष्णायसमित्येव सत्यमेव सोम्य स आदेशो भवतीति।।
संदर्भ = यह श्लोक संस्कृत ग्रंथ ‘छांदोग्य उपनिषद’ के षष्ठम् अध्याय से संकलित किया गया है। इस श्लोक में पिता आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान के उपदेश दे रहे हैं।
भावार्थ = पिता आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु से कहते हैं कि हे पुत्र तरह मिट्टी के बने पात्रों को देखकर उनको मिट्टी द्वारा बने होने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। लेकिन वास्तव में वह कि वह मिट्टी से बने होते हैं। अर्थात उन पात्रों में मृक्तित्व है, यही वास्तविक सत्य है।
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https://brainly.in/question/15931220
निम्नलिखित संस्कृत-पद्यांश/श्लोक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए—
किंस्वित् प्रवसतो मित्रं किंस्विन् मित्रं गृहे सतः ?
आतुरस्य च किं मित्रं किंस्विन् मित्रं मरिष्यतः ?
सार्थः प्रवसतो मित्रं भार्या मित्रं गृहे सतः ।
आतुरस्य भिषङ् मित्रं दानं मित्रं मरिष्यतः ।।