प्रात कालीन भ्रमण से होने वाले लाभ पर दादा और पोते के मधय होते सवाद को लगभग ५० शब्दों में लिखिए।
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प्रातः काल का भ्रमण शरीर के लिए बेहतरीन व्यायाम होता है। इससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत सारे लाभ मिलते हैं। प्रातः काल का समय बहुत ही शांत, स्फूर्तिदायक तथा शीतल होता है। सुबह बाहर के वातावरण में घूमने फिरने से शरीर को भी स्फूर्ति मिलती है और मन चंचल रहता है। सुबह की ठंडी पवन और उसमें भ्रमण करना दिन को एक सुंदर तरीके से शुरूआत देते हैं जिससे दिनभर के भाग-दौड़ में थकान बिलकुल महसूस नहीं होती।
मैं प्रतिदिन प्रातः काल सूर्योदय होने से पूर्व भ्रमण करने जाता हूं। मैं किसी भी प्रकार से सवेरे भ्रमण करना नहीं भूलता। प्रातः काल के भ्रमण के लिए स्थान भी सही होना बहुत आवश्यक है इसलिए प्रतिदिन मैं सुबह जल्दी उठता हूं और अपने स्पोर्ट्स जूते पहनकर 2 किलोमीटर दूर पार्क जाता हूं। पार्क जाने के बाद मैं कुछ योग आसन करता हूं और कुछ व्यायाम भी करता हूँ। वहां हमारे आस-पास के लोगों को व्यायाम करते हुए देख कर मुझे बहुत ख़ुशी होती है।
चिड़ियों का चहचहाना और लहलहाते खेतों को देखकर मन को बहुत आनंद मिलता है। प्रातः काल के समय पवन सबसे ज्यादा स्वच्छ होता है जिसके कारण हम दिन भर उत्साह के साथ अपना अभी कार्य करते हैं। व्यायाम करने के बाद में अपने घर को लौट जाता हूँ। वैसे तो व्यायाम करने के बाद थोड़ा थकान महसूस होता है परन्तु बाद में इसके बहुत सारे लाभ मिलते हैं।
1. भूमिका:
प्रातःकाल अर्थात् ब्रह्ममुहूर्त में बिस्तर छोड़ने की सलाह संसार के सभी धर्मों के ग्रंथों (Epics) में दी गयी है । कहा जाता है कि सूरज निकलने तक सोते रहने वाला व्यक्ति जीवन में कुछ नहीं कर सकता ।
वह जीवन में हमेशा असफल (Unsuccessful) रहता है । उसकी आयु (Life-Span) कम हो जाती है और देवताओं के नाराज होने के कारण वह सदा रोगी बना रहता है और उसकी मृत्यु जल्दी हो जाती है । इसलिए प्रातः काल जगना और टहलते हुए बाहर की हवा का सेवन करना मनुष्य का पहला कर्म माना गया है ।
2. लाभ:
प्रात: काल के भ्रमण से मनुष्य को कितना लाभ है, यह कहने की जरूरत नहीं, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं इसका अभ्यास करके इसके लाभों (Benefits) का अनु भव कर सकता है । प्रात: काल जगने और हाथ-मुँह धोकर बाहर टहलने से हमारे शरीर को ताजा ऑक्सीजन मिलती है और फेफड़े (Lungs) स्वस्थ होते हैं । वातावरण (Environment) शांत (Calm) रहता है जिससे मन को शांति और खुशी मिलती है ।
प्रात: काल के खुले वातावरण में टहलने पर मन प्रसन्न होता है, तन मे स्कूर्ति आती है जिससे दिन भर चाहे हम कुछ भी काम करें, उसे शांति, प्रसन्नता तथा साहस से कर सकते हैं । प्रात: कालीन भ्रमण की आदत डालना उनके लिए अधिक उपयोगी (Useful) है, जिन्हें योगासन अथवा अन्य किसी व्यायाम (Exercise) तथा खेल-कूद के लिए समय नहीं मिल पाता है ।
3. कठिनाइयाँ:
प्रात: काल का भ्रमण हमारे लिए अत्यंत उपयोगी होने पर भी इसमें अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ हैं । आजकल हर तरफ प्रदूषण (Pollution) फैला हुआ है । जहाँ देखें वहीं गंदगी, दुर्गंध (Smell) कल-कारखानों या गाड़ियों की आवाजें मन को अशांत बना देती हैं ।
ऐसी जगह तलाश करना वर्तमान समय में बड़ा कठिन है, जहाँ किसी तरह का प्रदूषण न हो । विशेषकर शहरों और महानगरों (Towns and Metropolitan Cities) में प्रदूषण के अलावा आए दिन बन्द, दंगे (Insurgency) तथा अन्य आपराधिक घटनाएँ (Criminal Incidents) होती रहती हैं, जिसके कारण प्रात : काल का भ्रमण नियम के अनुसार प्रतिदिन (Daily) नहीं हो पाता ।