History, asked by maazshaikh4749, 1 year ago

प्रश्न 10.
18वीं सदी में किन्हीं तीन राजपूत रियासतों की राजनैतिक स्थिति का वर्णन कीजिए।

Answers

Answered by shishir303
0

18वी सदी में तीन राजपूत रियासतों की राजनीतिक स्थिति का वर्णन इस प्रकार है...

आमेर (जयपुर) रियासत —

18 वीं सदी के आरंभ में जयपुर के शासक सवाई जयसिंह ने मालवा की सूबेदारी प्राप्त की और बूंदी रियासत के उत्तराधिकार में अपने प्रतिनिधि दलेल सिंह को बूंदी की गद्दी पर बिठाया। इस घटना से मराठों को राजस्थान में हस्तक्षेप करने का मौका मिल गया था। ऐसी स्थिति में जब मराठों का प्रभुत्व राजस्थान में बढ़ने लगा तो सवाई जय सिंह और अन्य रियासतों के राजाओं ने मिलकर ‘हुरडा’ नामक जगह पर ही सम्मेलन का आयोजन किया। जो कि ‘हुरडा सम्मेलन’ के नाम से मशहूर हुआ। इस वोडा सम्मेलन में सारे राजपूत राजाओं ने अपनी एकता का प्रदर्शन करने का प्रयास किया। जब सवाई जयसिंह की मृत्यु हो गई तो उनके पुत्रों में उत्तराधिकार के लिए संघर्ष हुआ इससे मराठों ने इस आपसी संघर्ष का लाभ उठाकर राज्य में हस्तक्षेप करना आरंभ कर दिया और वह निरंतर सवाई जय सिंह के बाद के सभी उत्तराधिकारियों पर हमला करते रहे और हराते रहे। अंत में जयपुर के एक शासक सवाई प्रताप सिंह ने तुंगा के युद्ध में मराठों को हराने में कामयाबी हासिल की।

जोधपुर रियासत —

जब 1707 में हो औरंगजेब की मृत्यु हो गई थी तो उसके बाद अजीत सिंह ने जोधपुर पर आक्रमण कर दिया और वहां के मुगलों के फौजदार को मारकर भगाकर जोधपुर पर अपना अधिकार जमा लिया। बाद में अजीत सिंह ने मुगल दरबार में भी अपना प्रभुत्व बनाया। अजीत सिंह को गुजरात का सूबेदार भी बनाया गया। मुगल सम्राट फर्रुखसियार को राज गद्दी से हटाने में अजीत सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अजीत सिंह के बाद उसके उत्तराधिकारियों में जोधपुर की राजगद्दी के लिए निरंतर संघर्ष चलता रहा।

मेवाड़ रियासत —

मेवाड़ के राजा अमर सिंह द्वितीय ने सवाई जय सिंह को आमेर तथा अजीत सिंह को जोधपुर का राज्य हासिल करने में सहायता की थी। ‘हुरडा सम्मेलन’ अध्यक्षता भी मेवाड़ के एक शासक महाराणा जगतसिंह ने की थी। कालान्तर में इस रियासत के उत्तराधिकारियों में भी सत्ता के संघर्ष चलता रहा।

Similar questions