प्रश्न 5. “माशा अल्लाह! ये घंटियाँ कितनी सुन्दर हैं। तुमने ये खुद बनाई हैं?" यह किसने
कहा और क्यों कहा?
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Answer:
“माशा अल्लाह! ये घंटियाँ कितनी सुंदर है। तुमने यह खुद बनाई हैं?” बादशाह अकबर ने यह बात किसलिए कही होगी– (ङ) क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि दस साल का बच्चा केशव इतनी सुंदर घंटियाँ बना सकता है।
Step-by-step explanation:
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Answer:
यह पंजाबी सूफी संत बुल्ले शाह जी ने कहा था। उन्होंने अपनी कविता "चारा नश्ता" में इस वाक्य का प्रयोग किया था। इस कविता में उन्होंने एक भिखारी से संवाद किया है, जो उन्हें उनके द्वारा बनाई गई घंटियों की प्रशंसा करते हुए पूछता है कि उन्होंने ये खुद बनाई हैं क्या। इस संवाद से बुल्ले शाह जी ने एक संदेश दिया है कि सभी मानव समाज के सदस्यों को समानता के साथ देखना चाहिए और सभी मानव के जीवन में अपना योगदान देना चाहिए।
Explanation:
यह उद्धरण बचपन में अपनी माँ से बातचीत करते समय बचपन के कुछ स्मृतियों को याद करते हुए कहा गया होगा। इसमें "माशा अल्लाह" एक अरबी उक्ति है जो धन्यवाद के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इस उद्धरण में यह उत्सुकता व्यक्त करता है कि घंटियों की सुंदरता से उन्हें आश्चर्य होता है और यह जानने की इच्छा उन्हें उस व्यक्ति या स्थान के बारे में होती है जो इन्हें बनाता है। यह उद्धरण संभवतः किसी आदमी या बच्चे द्वारा उस व्यक्ति को उनकी सृजनात्मकता और कुशलता की स्तुति करते हुए कहा गया होगा।
यह पंजाबी सूफी संत बुल्ले शाह जी ने कहा था। उन्होंने अपनी कविता "चारा नश्ता" में इस वाक्य का प्रयोग किया था। इस कविता में उन्होंने एक भिखारी से संवाद किया है, जो उन्हें उनके द्वारा बनाई गई घंटियों की प्रशंसा करते हुए पूछता है कि उन्होंने ये खुद बनाई हैं क्या। इस संवाद से बुल्ले शाह जी ने एक संदेश दिया है कि सभी मानव समाज के सदस्यों को समानता के साथ देखना चाहिए और सभी मानव के जीवन में अपना योगदान देना चाहिए।
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