प्रश्न आनवायह हा प्रश्ना क अक उनक
म्नलिखित गद्यांशों की सन्दर्भ-प्रसंग-सहि
) रत्न प्रसविनी हैं वसुधा, अब समझ सक
इसमें सच्ची समता के दाने बोने हैं।
इसमें जन की क्षमता के दाने बोने हैं।
इसमें मानव ममता के दाने बोने हैं।
जिसमें उगल सके फिर धूल सुनहली फ
मानवता की -जीवन श्रम से हँसें दिशाएँ
हम जैसा बोयेंगे वैसा ही पायेंगेuh
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sorry....
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don't Know........
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