पर उस एक क्षण के हिम-दर्शन ने हममें जाने क्या भर दिया था । सारी खिन्नता, निराशा, थकावट-सब छू-मन्तर हो गयी । हम सब आकुल हो उठे । अभी ये बादल छँट जाएँगे और फिर हिमालय हमारे सामने खङा होगा–निरावृत्त…………असीम सौन्दर्यराशि हमारे सामने अभी-अभी अपना घूँघट धीरे से खिसका देगी और…………और तब ? और तब ? सचमुच मेरा दिल बुरी तरह धङक रहा था । शुक्ल जी शान्त थे, केवल मेरी ओर देखकर कभी-कभी मुस्कुरा देते थे, जिसका अभिप्राय था, इतने अधीर थे, कौसानी आयी भी नहीं और मुँह लटका लिया । अब समझे यहाँ का जादू ।
(अ) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ अथवा पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) शुक्ल जी के मुस्कुराने का क्या अभिप्राय था ?
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पर उस एक क्षण के हिम-दर्शन ने हममें जाने क्या भर दिया था । सारी खिन्नता, निराशा, थकावट-सब छू-मन्तर हो गयी । हम सब आकुल हो उठे । अभी ये बादल छँट जाएँगे और फिर हिमालय हमारे सामने खङा होगा–निरावृत्त…………असीम सौन्दर्यराशि हमारे सामने अभी-अभी अपना घूँघट धीरे से खिसका देगी और…………और तब ? और तब ? सचमुच मेरा दिल बुरी तरह धङक रहा था । शुक्ल जी शान्त थे, केवल मेरी ओर देखकर कभी-कभी मुस्कुरा देते थे, जिसका अभिप्राय था,
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