Hindi, asked by choutu8907, 11 months ago

राजा का मन हुआ कि एक बार चलकर अपनी आँखों से यह देखें कि शिक्षा कैसे धूमधङाके से और कैसी बगटुट तेजी के साथ चल रही है । सो, एक दिन वह अपने मुसाहबों, मुँहलगों, मित्रों और मन्त्रियों के साथ आप ही शिक्षा-शाला में आ धमके । उनके पहुँचते ही ड्योढी के पास शंख, घङियाल, ढोल, तासे, खुरदक, नगाङे, तुरहियाँ, भेरियाँ, दमामें काँसे, बाँसुरिया, झाल, करताल, मृदंग, जगझम्प आदि-आदि आप-ही-आप बज उठे । पण्डित गले फाङ-फाङकर और बूटियों फङका-फङकाकर मन्त्र-पाठ करने लगे । मिस्त्री, मजदूर, सुनार, नकलनवीस, देखभाल करने वाले और उन सभी के ममेरे, फुफेरे, चचेरे, मौसेरे भाई जय-जयकार करने लगे ।
(अ) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ अथवा पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) राजा को देखकर पण्डित क्या करने लगे ?

Answers

Answered by ranyodhmour892
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Answer:

। पण्डित गले फाङ-फाङकर और बूटियों फङका-फङकाकर मन्त्र-पाठ करने लगे ।

Answered by shrutisharma4567
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Explanation:

पण्डित गले फाङ-फाङकर और बूटियों फङका-फङकाकर मन्त्र-पाठ करने लगे । मिस्त्री, मजदूर, सुनार, नकलनवीस, देखभाल करने वाले और उन सभी के ममेरे, फुफेरे, चचेरे, मौसेरे भाई जय-जयकार करने लगे ।

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