पठित पदों के आधार पर सिद्ध कीजिए कि तुलसीदास का भाषा पर पूरा अधिकार था।
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konse padhit pad ,pad to bta pahle
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तुलसीदास जी की रचनाओं का पठन करने पर यह सिद्ध हो जाता है कि तुलसीदास जी का भाषा पर पूरा अधिकार था।
उनकी प्रसिद्ध रचनाएं संस्कृत, ब्रज और अवधी तीनों भाषाओं में हैं। उन्होंने राम-भरत का प्रेम अवधी भाषा में लिखा है और पद ब्रजभाषा में लिखे हैं।
उनकी रचनाओं में मधुरता और सुंदर शब्द विन्यास दृष्टिगोचर होता है। उनकी भाषा अत्यंत सरल और सहज है।
गीतावाली की रचना पद शैली में हुई है। इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग सर्वत्र दिखाई देता है।
इसके साथ-साथ उपमा अलंकार और उत्प्रेक्षा अलंकार की छटा पदों का सौंदर्य निखार देती है।
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'पीपर पात सरिस मन डोला' काव्य पंक्ति में अलंकार है -
(A) अनुप्रास (B) यमक (C) उपमा (D) रूपक
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