"Question 1 भाव स्पष्ट कीजिए- दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित, तेरे जीवन का अणु गल गल!
Class 10 - Hindi - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल Page 34"
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प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियां प्रसिद्ध छायावादी कवियत्री महादेवी वर्मा द्वारा रचित कविता मधुर मधुर मेरे दीपक जल से ली गई है। इन पंक्तियों में कवियत्री ने स्वयं को दीपक के समान चला कर दूसरों को सुख प्रदान करने की भावना प्रकट की है। कवित्री का मानना है कि दूसरों को सुख प्रदान करने के लिए स्वयं को दुख देना ही पड़ता है।
व्याख्या:
कवियत्री कहती हैं हे मेरे दीपक तेरे जीवन का कण कण पिघलकर संसार को अपार प्रकाश का सागर प्रदान करें। अर्थात स्वयं को मिटाकर संसार को रोशनी प्रदान कर। वैसे ही मनुष्य को आत्म बलिदान द्वारा संसार की भलाई करनी चाहिए। कवियत्री स्वयं दुख उठा कर दूसरों को सुख प्रदान करना चाहती हैं। उन्हें अपने सुखो के प्रति मोह नहीं है।
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व्याख्या:
कवियत्री कहती हैं हे मेरे दीपक तेरे जीवन का कण कण पिघलकर संसार को अपार प्रकाश का सागर प्रदान करें। अर्थात स्वयं को मिटाकर संसार को रोशनी प्रदान कर। वैसे ही मनुष्य को आत्म बलिदान द्वारा संसार की भलाई करनी चाहिए। कवियत्री स्वयं दुख उठा कर दूसरों को सुख प्रदान करना चाहती हैं। उन्हें अपने सुखो के प्रति मोह नहीं है।
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आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।
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