Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

"Question 2 भाव स्पष्ट कीजिए − −यों जलद-यान में विचर-विचर था इंद्र खेलता इंद्रजाल।

Class 10 - Hindi - पर्वत प्रदेश में पावस Page 28"

Answers

Answered by nikitasingh79
50
प्रसंग:प्रस्तुत पंक्तियां सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता पर्वत प्रदेश में पावस से ली गई है। इस कविता में कवि ने वर्षा ऋतु में हर पल बदलते हुए पर्वतीय प्रदेश की प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है।

व्याख्या:प्रस्तुत पंक्ति से कवि का भाव यह है कि उस प्राकृतिक वातावरण को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वर्षा का देवता इंद्र बादलों के यान में बैठा हुआ जादू का कोई खेल खेल रहा हो। आकाश में इधर-उधर उमड़ते घुमड़ते बादलों में छिपे पहाड़ों को देख कर ऐसा लगता था जैसे पहाड़ अपने पंखों को फड़फड़ाते हुए उड़ रहे हो। कहीं गहरे कोहरे के कारण चारों धुआं ही धुआं था, तो कहीं मूसलाधार वर्षा से आकाश की धरती पर टूटकर गिरने जैसा प्रतीत हो रहा था। पहाड़ों का उड़ना, चारों ओर धुआं होना और मुसलाधार- यह सब जादू के खेल के समय दिखाई दे रहे थे।

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Answered by shahashutos7
6

Answer:

पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में पल-पल प्रकृति के रूप में परिवर्तन आ जाता है। कभी गहरा बादल, कभी तेज़ वर्षा व तालाबों से उठता धुआँ। ऐसे वातावरण को देखकर लगता है मानो वर्षा का देवता इंद्र बादल रूपी यान पर बैठकर जादू का खेल दिखा रहा हो। आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देखकर ऐसा लगता था जैसे बड़े-बड़े पहाड़ अपने पंखों को फड़फड़ाते हुए उड़ रहे हों। बादलों का उड़ना, चारों ओर धुआँ होना और मूसलाधार वर्षा का होना ये सब जादू के खेल के समान दिखाई दे रहे ये।

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