"Question 3 माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
Class 7 - Hindi - चिड़िया की बच्ची Page 73"
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माधवदास चिड़िया को तरह-तरह के लालच दे रहे थे परंतु चिड़िया को उसकी बातें समझ में नहीं आ रही थी। वह मनुष्य को स्वार्थ को नहीं समझ पा रही थी। माधव दास के लिए संसार के वैभव बहुत महत्व। वह सोचते थे कि वह किसी को भी कोई लालच देकर अपने वश में कर सकते हैं। सभी लोगों को सांसारिक चीजों की तृष्णा रहती है इसलिए वह लालच में फंसकर कुछ भी करने लग जाते हैं। माधवदास ने चिड़िया के लिए भी ऐसा ही सोचा था कि वह उनके दिए लालच में फस जाएगी।
चिड़िया माधव दास के दिए लालच को समझ नहीं पाती है। वह एक छोटी चिड़िया है। उसे दुनियादारी की समझ नहीं है। उसके लिए उसकी मां ही सब कुछ है। मां के बिना वह रहने की सोच भी नहीं सकती है। सेट के मोती से उसे मां का लाया चुग्गा अधिक पसंद है। उसके पास धूप, हवा, पानी ,फल ,सब कुछ है उसको कुछ नहीं चाहिए।
चिड़िया माधव दास के दिए लालच को समझ नहीं पाती है। वह एक छोटी चिड़िया है। उसे दुनियादारी की समझ नहीं है। उसके लिए उसकी मां ही सब कुछ है। मां के बिना वह रहने की सोच भी नहीं सकती है। सेट के मोती से उसे मां का लाया चुग्गा अधिक पसंद है। उसके पास धूप, हवा, पानी ,फल ,सब कुछ है उसको कुछ नहीं चाहिए।
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Answer:
यहाँ माधवदास और चिड़िया के मनोभाव एक दूसरे से विपरीत हैं। एक तरफ माधवदास के लिए धन-संपत्ति, सुख-सुविधा ही जीवन के अमुल्य तत्व हैं। परन्तु दूसरी ओर चिड़िया के लिए ये सभी सुख सुविधाएँ व्यर्थ थी। चिड़िया को केवल अपनी माँ से लगाव था। माँ की गोद ही उसके लिए दुनिया में सबसे अधिक मूल्यवान सुख था। उसे सोने-चाँदी, हीरे-मोती की तुलना में अपने माँ का स्नेह अधिक प्यारा था। अर्थात् चिड़िया की खुशी भौतिक सुखों से अलग भावनात्मक सुखों में है। परन्तु माधवदास के लिए धन दौलत ही सर्वोपरि है। उसके सामने भावनाएँ मूल्यहीन हैं।
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