"Question 4 आशय स्पष्ट कीजिए − आँखे आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।
Class 10 - Hindi - बड़े भाई साहब Page 64"
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लेखक कहता है कि एक दिन वह एक कटी हुई पतंग को लूटने के लिए उसके पीछे दौड़ा था। उस समय उसकी आँखें आसमान की ओर थी और उसका मन उस कटी हुई पतंग की ओर लगा हुआ था। पतंग धीरे-धीरे हवा में लहराती हुई नीचे की ओर गिरने को थी। उस समय वह पतंग ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे कोई पवित्र व शांत आत्मा स्वर्ग से निकल कर विरक्त मन से धरती पर नया जन्म लेने के लिए उतर रही हो।
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इन पंक्तियों मे लेखक ने छोटे भाई के कटी पतंग के पीछे दौड़ने का वर्णन किया है | कोई बच्चा कब पतंग लूटने के लिए भागता है तो उसकी आँखें अपलक आसमान की ओर होती हैं | कटी पतंग दिशाहीन लहराती हुई धीरे धीरे जमीन की तरफ गिरती है | डोर कट जाने से पतंग के सारे बंधन टूट जाते हैं लेखक जब पंतग लूट रहा था तो उसकी आँखे आसमान की ओर थी और मन पंतग रूपी राहगीर की तरह। उसे पंतग एक दिव्य आत्मा जैसी लग रही थी जो धीरे-धीरे नीचे आ रही थी | जैसे आत्मा का शरीर से निकल जाना और फिर किसी नए शरीर में प्रवेश करना | उसे पिछले शरीर से कोई लगाव नहीं रह जाता | पतंग भी इसी तरह से नए मालिक की तरफ चली जाती है इस बात से बेखबर कि नया मालिक हो सकता है उसे फाड़कर उसका अस्तित्व मिटा दे |
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