"Question 6 लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?
Class 10 - Hindi - सपनों के-से दिन Page 30"
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लेखक को स्कूल कभी भी ऐसी जगह नहीं लगता था जहां खुशी से जाया जाए। स्कूल जाना उनके लिए एक सजा के सामान था। परंतु एक- दो अवसर ऐसे होते थे जब उसे स्कूल जाना अच्छा लगता था। पीटी मास्टर जब स्कूल में स्काउटिंग की परेड अभ्यास करवाते थे उस समय वह बच्चों के हाथों में नीली पीली झाड़ियां पकड़ा देते थे। मास्टर जी के वन, टू, ३ कहने पर बच्चे झंडे को ऊपर - नीचे , दाएं -बाएं करते थे।उस समय हवा में नहाती हुई झाड़ियां बच्चों को अच्छी लगती थी। उन्हें पहनने के लिए खाकी वर्दी और पोलीस किए जूते मिलते थे। गले में दो रंग का रुमाल पहनने को मिलता था। उस समय स्कूल के सभी बच्चे खुशी खुशी स्कूल जाते थे।
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लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था परन्तु जब स्कूल में रंग बिरगें झंडे लेकर, गले में रूमाल बाँधकर मास्टर प्रीतमचंद पढाई के बजाए स्काउटिंग की परेड करवाते थे, तो लेखक को बहुत अच्छा लगता था। सब बच्चे ठक-ठक करते राइट टर्न, लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न करते और मास्टर जी उन्हें शाबाश कहते तो लेखक को पूरे साल में मिले गुड्डों से भी ज़्यादा अच्छा लगता था। इसी कारण लेखक को स्कूल जाना अच्छा लगने लगा।
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