Hindi, asked by ashokpandey05081982, 3 months ago

रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव,
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।
भावार्थ स्पष्ट करो​

Answers

Answered by subratachanda
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Explanation:

रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव,

जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।

पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।

जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।

भावार्थ स्पष्ट करो

Answered by sikhachanda12
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रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव,

जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।

पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।

जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।

भावार्थ स्पष्ट करो

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