संघवाद लोकतन्त्र के अनुकूल है।
(क) संंघीय व्यवस्था केन्द्र सरकार की शक्ति को सीमित करती है।
(ख) संंघवाद इस बात की व्यवस्था करता है कि उस शासन-व्यवस्था के अन्तर्गत रहनेवाले लोगों में आपसी सौहार्द एवं विश्वास रहेगा। उन्हे इस बात का भय नही रहेगा कि एक भाषा, संस्कृति और धर्म दूसरे पर लाद दी जायेगी।
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I also dont know but I did this question later
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यह कथन बिल्कुल सही है कि संघवाद लोकतंत्र के अनुकूल है।
यह संघवाद ही है जो सत्ता की शक्ति को केंद्र, राज्य और निचले स्तर तक विस्तारित करता है। अगर संघवाद ना हो तो केंद्र की सरकार या राज्य की सरकार अपने में मुताबिक किसी भी मुद्दे पर फैसले लेगी अथवा कानून बनाएगी।
संघवाद ना होने के गलत परिणाम ये हो सकता है कि इससे शासन व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ जाएगी। जब फैसले गलत और में मुताबिक होंगे तो इससे देश की जनता में असंतोष की भावना आएगी।
व्यवस्था बिगड़ने से देश में आपसी सौहार्द बिगड़ने का संकट खरा हो जाएगा। इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए संविधान में संघवाद द्वारा शक्ति को अलग अलग स्तर पर विभाजन किया गया है।
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