साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है। जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद | होने (मृत्यु) के लिए जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें।
Answers
Answer:
NCERTONLINE.COM
Home>
class-11>
Hindi
Hindi हिंदी
प्रश्न 8-11. साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है| जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें|
उत्तर 8-11.
जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फ़ाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए जिम्मेदार सुपरिंटेंडेंट और साक्षात्कारकर्ता के बीच का काल्पनिक साक्षात्कार-
साक्षात्कारकर्ता: क्या, आप ही इस विभाग के सुपरिंटेंडेंट हैं?
सुपरिंटेंडेंट: जी हाँ !
साक्षात्कारकर्ता: तब तो आपको पता ही होगा कि आपकी लॉन में एक पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है|
सुपरिंटेंडेंट: इसमें मेरी कोई गलती नहीं है|
साक्षात्कारकर्ता: लेकिन माली को आपने ही पेड़ काटने से मना किया था|
सुपरिंटेंडेंट: देखिए जनाब, हम सरकारी कर्मचारी हैं इसलिए कार्य को नियम और कानून के दायरे में रहकर करना पड़ता है|
साक्षात्कारकर्ता: चाहे इस नियम और कानून के कारण किसी की जान ही क्यों न चली जाए|
सुपरिंटेंडेंट: नहीं! ऐसा हमने कब कहा? लेकिन....
साक्षात्कारकर्ता: लेकिन क्या?
सुपरिंटेंडेंट: मैंने तो ये कहा कि मैं कानून के दायरे के बाहर नहीं जा सकता था| मुझे अपने से ऊपर जवाब देना पड़ता है|
साक्षात्कारकर्ता: पर ये कहाँ लिखा है कि मरते हुए आदमी को छोड़कर आप फ़ाइल के चक्कर में पड़े रहे|
सुपरिंटेंडेंट: मैं स्वयं निर्णय कैसे लेता? यह काम मेरे विभाग से संबंधित ही नहीं था|
साक्षात्कारकर्ता: तो आप ही बताइए कि इस बेचारे व्यक्ति के मरने की जिम्मेदारी किस विभाग की है?
सुपरिंटेंडेंट: मैं इस बारे में आगे कोई बात नहीं करना चाहता हूँ| मुझे जो ठीक लगा वह मैंने किया अच्छा नमस्कार|
साक्षात्कार , जामुन के पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति के फाइल बंद होने (मृत्यु होने ) के लिए जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति का
काल्पनिक साक्षात्कार
साक्षात्कार कर्ता - आप इस विभाग के अधीक्षक है ना।
अधीक्षक - जी हां!
साक्षात्कार कर्ता - आपको जामुन के पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति की मृत्यु के बारे में तो जानकारी होगी ही।
अधीक्षक - जी हां, मैंने अपनी ओर से पूरी कोशिश की उस व्यक्ति को बचाने की। परन्तु मै भी कानून के दायरे में ही काम कर सकता हूं। मै अपना निर्णय नहीं ले सकता।
साक्षात्कार कर्ता - क्या किसी इंसान की जान कि कीमत इतनी सस्ती है कि पहले उसे कानून सुनाए जा रहे है। उसकी जान बचाना आपका प्रथम कर्तव्य होना चाहिए था।
अधीक्षक - मैंने आपसे पहले ही कहा कि मै विवश था।
साक्षात्कार कर्ता - ऐसी क्या विवशता थी , जो मानवता भी भुला देती है।
अधीक्षक - जी मै अब इस बारे में और नहीं बात कर सकता, मुझे और भी कई काम है। नमस्कार।