Sociology, asked by Kamlesh63841, 9 months ago

सामुदायिक पहचान क्या होती है और वह कैसे बनती है?

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Answered by YQGW
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Explanation:

समुदाय की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर उसकी कुछ मुल विशेषताऐं बतार्इ जा सकती हैं जो हैं:-

निश्चित भू-भाग का तात्पर्य यहां उन सीमा एवं घेरे से हैं जो किसी विशेष सामाजिक आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं वाले नागरिकों को अपनी परिधि में सम्मिलित करता है मानव जाति की एक परम्परागत विशेषता रही है कि जब मानव परिवार किसी एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चलने के लिए प्रयत्न करता है तो वह उस स्थान को प्राथमिकता देता है। जहाँ उसके समान सामाजिक-आर्थिक एवं धार्मिक विचारों वाले लोग निवास करते हैं।

व्यक्तियों का समूह-समुदाय से यहाँ तात्पर्य मानव जाति के समुदाय से है, जो अपनी सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक समरूपताओं के आधार पर एक निश्चित सीमा में निवास करते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि समुदाय में हम मानवीय सदस्यों को सम्मिलित करते हैं न कि पशु पक्षियों को।

सामुदायिक भावना-का तात्पर्य यहाँ सदस्यों के आपसी मेल-मिलाप पारस्परिक सम्बन्ध से है। वैसे तो सम्बन्ध कर्इ प्रकार के होते हैं, लेकिन सदस्यों में एक दूसरे की जिम्मेदारी महसूस करने तथा सार्वजनिक व सामुदायिक जिम्मेदारी को महसूस करने तथा निभाने से है।

सर्वमान्य नियम-जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि प्राथमिक रूप से समुदाय का प्रशासन समुदाय के सदस्यों द्वारा बनाये गये नियमों पर निर्भर होता है औपचारिक नियमों के अतिरिक्त समुदाय को एक सूत्र में बाँधने, समुदाय में नियंत्रण स्थापित करने, सदस्यों को न्याय दिलाने, कमजोर सदस्यों को शोषण से बचाव तथा शोशितों पर नियंत्रण रखने या सामुदायिक व्यवहारों को नियमित करने के लिए प्रत्येक समुदाय अपनी सामुदायिक परिस्थितियों के अनुसार अनौपचारिक नियमों को जन्म देता है।

स्वत: उत्पत्ति-वर्तमान समय में कार्यरत विभिन्न शहरीय आवसीय योजनायें आवास की सुविधा प्रदान कर समुदाय के निर्माण में अवश्य ही सहायक साबित हो रही है, लेकिन प्रारम्भिक काल में समुदाय की स्थापना एवं विकास में स्वत: उत्पत्ति की प्रक्रिया अधिक महत्वपूर्ण थी।

विशिष्ट नाम-प्रत्येक समुदाय के स्वत: विकास के पश्चात उसे एक नाम मिलता है। लुम्ले के अनुसार, ‘‘ यह समरुपता का परिचायक है, यह वास्तविकता का बोध कराता है यह अलग व्यक्तित्व को इंगित करता है, वह बहुधा व्यक्तित्व का वर्णन करता है। कानून की दृश्टि में इसके कोर्इ अधिकार एवं कर्तव्य नहीं होते।

स्थायित्व-बहुधा एक बार स्थापित समुदाय का संगठन स्थिर होता है। एक स्थिर समुदाय का उजड़ना आसान नहीं होता है। कोर्इ विशेष समुदाय किसी समस्या के कारण ही उजड़ता है, अन्यथा स्थापित समुदाय सदा के लिए स्थिर रहता है।

समानता - एक समुदाय के सदस्यों के जीवन में समानता पार्इ जाती है। उनकी भाषा रीतिरिवाज, रूढ़ियों आदि में भी समानता होती है। सभी सामुदायिक परम्पराएं एवं नियम सदस्यों द्वारा सामुदायिक कल्याण एवं विकास के लिए बनायी जाती हैं। इसलिए समुदाय में समानता पाया जाना सवाभाविक है।

Answered by deepaliguptab1
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सामुदायिक/ सामूहिक

समुदाय शब्द लैटिन भाषा के com तथा munis शब्द से बना है |  

समुदाय उस समूह को कहते है जिसमे  सदस्य किसी क्षेत्र की सीमा में इस प्रकार समग्र  जीवन बिताते है ,जहाँ सदस्यों का आपसी मेल-मिलाप पारस्परिक सम्बन्ध हैं| जहाँ पर कोई व्यक्ति या समूह बिना पैसा लिए समुदाय  उत्थान के लिए कार्य  करता हैं|  

सामुदायिक  पहचान जन्म एवं अपने पन आधारित है न कि किसी उपलब्धि के कारण

सामुदायिक सम्बन्धो (परिवार,रिश्तेदार आदि) के बढ़ते हुए और परस्पर व्यापी दायरे ही हमारी दुनिआ को साथर्कता प्रदान करते है जो हमे हमारी पहचान ज्ञात कराते  है

समुदाय हमें मातृभाषा , मूल्य  एवं संस्कृति प्रदान करता है, जिसके माध्यम से हम  विश्व का आकलन करते हैं |  

यह बात उनके लिए समझना कठिन हैं , जोकि रचनात्मक जोड़े हैं| लोग उन समुदायों  सम्बंधित होकर अत्यंत सुरक्षित एवं संतुस्ट महसूस करते है |  

मैकाइवर एवं पेज के अनुसार - जहाँ कहीं एक छोटे या बड़े समूह  के सदस्य  एक साथ रहते हुए विशेष उद्देश्य में भाग  लेकर सामान्य जीवन की मौलिक दशाओ में भाग लेते हैं |  

निष्कर्ष - समुदाय एक निश्चित स्थान में रहने वाले लोगों का एक ऐसा समूह है, जिसकी एक संस्कृति होती है, एक जैसी जीवन प्रणाली होती है, जो अपनी सभी आवश्कताओं की पूर्ति समुदाय के भीतर ही पूरी कर लेते हैं|

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