स्पष्ट कीजिए कि कोबायाशी के मन में मातृभूमि के प्रति गहरी आस्था और ममत्व का भाव था?
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कोबायाशी हिरोशिमा में पल-बढ़कर पच्चीस वर्ष का हो गया था। उसे , अपने नगर की हर चीज से प्रेम और आत्मीयतापूर्ण लगाव था। वह अपने. नगर की इमारतों, सड़कों, गाड़ियों, सवारियों आदि का घायल अवस्था में स्मरण करता है तथा आँखे खोलकर देखने का प्रयत्न करता है। जीवन के पच्चीस वर्षों से ये सब उसे आत्मवत् परिचित और घनिष्ठ लगते थे। जहरीला धुआँ लाल मिर्च के पाउडर की तरह उसकी आँखों को जला रहा था, फिर भी वह दृढ़पूर्वक आँखें खोलकर अपनी मातृभूमि को देख रहा था।
उसे तसल्ली हो रही थी कि बम गिरने के बाद भी उसका जीवन नष्ट नहीं हुआ था। वह हिरोशिमा की मिट्टी को अपने कमजोर हाथों से स्पर्श करके सुख का अनुभव कर रहा था। अपनी धरती के प्रति उसके हृदय में ममत्व जाग उठा था। उसे आस-पास दिखाई दे रही सभी वस्तुओं, लोगों, आम रास्तों आदि से गहरा अपनापन लग रहा था।
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