सूरदास के पद में वर्णित श्री कृष्ण की बाल लीला का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए|
पद photo mein hai usse answer dijiye
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वस्तुत: इस पद में भक्तकवि सूरदास अपने आत्म का विगलन करके स्वयं को सर्वाधिक पापी मानते हैं ताकि सहज ही ईश्वर की कृपाप्राप्ति हो सके। अहंकार और आत्म का विगलन दास्य-भक्ति की आधारभूत शर्त है। सूरदास दूसरों में दोष ढूँढ़ने की जगह स्वयं अपने ही दोषों को प्रकट करके ईश्वर की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।
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Didi aap surya public school madhar mau mein padhti hai
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