Hindi, asked by arfingian1, 7 months ago

समय का सदुपयोग write an essay on it​

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Answered by anshu3a
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Answer:

अपने कर्तव्य कर्म को बिना विलंब यथा समय करना ही समय का सदुपयोग है जिस समय जो कार्य करना अपेक्षित है उस समय वही कार्य करना समय का सदुपयोग है परिस्थिति और परिवेश को समझ कर अपना कार्य सिद्ध करना समय का सदुपयोग है

Explanation:

ठीक समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य बहुत उपयोगी होता है और समय बीतने पर किया हुआ महान उपकार भी व्यर्थ हो जाता है अंग्रेजी में कहावत है A stitch in time saves nine अंग्रेज दार्शनिक बेकर ने भी कहा है कि समय का उचित उपयोग समय की बचत है समय का सदुपयोग सफलता की कुंजी है सुशील ताकत चीन ने है प्रगति का लक्षण है श्रेष्ठ स्वभाव का परिचायक और सुख जीवन का तथा लक्ष्मी का अक्षय भंडार है जो व्यक्ति दिन चार्य का सदुपयोग करने में अर्थात व्यायाम भोजन और विश्राम में दिन दिलाएगा उसे रोक जीत कर देगा जिस व्यक्ति ने समय और परिस्थिति को पहचानते हुए भी उस की अपेक्षा की अर्थात उचित समय पर कर्तव्य कर्म ना किया वह नष्ट हो गया कारण समय की उपेक्षा करने वालों को समय स्वयं नष्ट कर देता है

Answered by Anonymous
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Answer:

समय अमूल्य धन है। व्यक्ति के निर्माण में समय का महत्त्व असंदिग्ध है। बीता हुआ समय कभी नहीं लौटता। अतः जो व्यक्ति समय की उपेक्षा करता है समय उसका साथ छोड़कर आगे बढ़ जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि समय के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग किया जाय।

सुख और दुख भी समय की देन हैं। समय केवल उसका मित्र है जिसका जीवन का एक-एक पल बहुमूल्य है। उन्नति करने वाला व्यक्ति बेकार की बातों में अपना सयम नष्ट नहीं करता। समय का दुरुपयोग मनुष्य के लिए घातक, उन्नति में बाधक तथा पश्चाताप का कारण बनता है।

प्रत्येक कार्य को करने की एक निश्चित एवं सुदृढ़ योजना बना लेनी चाहिए, फिर उसके अनुरूप कार्य संपन्न करना चाहिए। सूर्य और चंद्रमा निर्धारित समय पर उदय-अस्त होते हैं, पूरी प्रकृति समय के अनुशासन में बँधी हुई है। संसार में जितने भी महापुरु ष हुए हैं, उन्होंने अपने जीवन के एक-एक पल का उपयोग किया है। बड़े-बड़े वैज्ञानिक, संगीतकार, साहित्यकार समय का सम्मान करके ही बड़े बने हैं। समय का सम्मान करना ही सच्ची पूजा है। जो व्यक्ति अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करता है, वही जीवन में सदैव प्रसन्न, संतुष्ट और संपन्न रहता है। अतः समय का यह महत्त्व समझकर जो व्यक्ति अपने जीवन में आचरण करते हैं, वही समाज की अगुवाई करते हैं। पूज्य एवं पथ प्रदर्शक बनते हैं।

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