शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शस्त्रचर्चा प्रवर्तते।
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प्रसंग-> प्रस्तुत पंक्ति हमारी संस्कृत की पाठ्य पुस्तक ............. के अंतर्गत ............ पाठसे ली गई हैं| प्रस्तुत पंक्ति में में कहा है कि यदि शास्त्र से राष्ट्र सुरक्षित ही तो ही शास्त्र की चर्चा करनी चाहिए|
व्याख्या-> आचार्य चाणक्य राष्ट्र की सुरक्षा के लिए कहते हैं कि यदि शस्त्र से राष्ट्र की सीमाएं सुरक्षित हों तो ही राष्ट्र में शास्त्र की चर्चा होनी चाहिए क्योंकि यदि हम शास्त्र की ही चर्चा करते रहे तथा देश की सीमाएं सुरक्षित न हों तो शत्रु देश में घुस सकता है इसलिए पहले शस्त्र से देश की रक्षा होनी चाहिए|