दुर्गम बर्फानी घाटी मे, शत-सहस्त्र फुट ऊँचाई पर
अलख-नाभि से उठने वाले, निज के ही उम्मादक परिमल
के पीछे पावित हो होकर, तरल तरूण कस्तूरी मृग को
अपने पर चढ़ते देखा है, बादल को घिरते देखा है।
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आ) पुढील घटनांचे कवत्रीला अपेक्षित परिणाम लिहा.
गोष्टी
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