वे कौन से कारक हैं जिन्होंने कुछ समूहों के नव धनाढ्य, उद्यमी तथा प्रबल वर्ग के रूप में परिवर्तन को संभव किया है? क्या आप अपने राज्य में इस परिवर्तन के उदाहरण के बारे में सोच सकते हैं?
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Answer: 'उद्यमीसंगठन' (Entrepreneur) 1 वह व्यक्ति है जो एक उद्यम या परियोजना पर नियंत्रण रखता है और उसमें निहित जोखिमों और परिणाम के लिए महत्वपूर्ण रूप से जिम्मेदार है। उद्यमी एक महत्वाकांक्षी नेता है जो भूमि, श्रम तथा पूँजी को नए उत्पाद बनाने या सेवाएं प्रदान करने के लिए आपस में मिलाता है। [1]यह शब्द फ्रेंच भाषा से ग्रहण किया गया है और इसे सबसे पहले आयरिश अर्थशास्त्री रिचर्ड केंटीलोन द्वारा परिभाषित किया गया था। अंग्रेजी में उद्यमी एक शब्द है जो एक व्यक्तित्व के प्रकार के लिए प्रयोग किया जाता है जो स्वयं एक नए उद्यम या परियोजना शुरू करने का इच्छुक है और उसके परिणाम की पूरी ज़िम्मेदारी स्वीकार करने के लिए तैयार है। ऐसा माना जाता है कि जीन-बपतिस्ते से, एक फ्रेंच अर्थशास्त्री, ने 1800 में सबसे पहले उद्यमी शब्द गढ़ा था। उन्होंने एक उद्यमी के विषय में कहा "वह व्यक्ति जो एक उद्यम को चलाता है, विशेष रूप से एक ठेकेदार, जो पूंजी और श्रम के बीच एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है".[2]
उद्यमिता अक्सर मुश्किल और पेचीदा है, जिसके परिणामस्वरूप कई नए उद्यम असफल हो जाते हैं। शब्द उद्यमी अक्सर संस्थापक के पर्याय के रूप में प्रयुक्त होता है। आम तौर पर, उद्यमी शब्द उस पर लागू होता है जो बाज़ार में जगह बना कर उस उत्पाद या सेवा को प्रदान कर के नाम स्थापित करता है जो कि वर्तमान में अस्तित्व में नहीं है। उद्यमी बाज़ार में अवसर की पहचान करते हैं और अपने संसाधनों को प्रभावी ढंग से नियोजित करके ऐसे परिणाम से पूरा लाभ उठाते हैं जो एक क्षेत्र में वर्तमान विचारों को बदल देता है।
पर्यवेक्षक उन्हें अवसर प्राप्त करने के लिए एक उच्च स्तर के निजी, पेशेवर या आर्थिक रूप से जोखिम लेने को तैयार व्यक्ति बनने के इच्छुक के रूप में देखते हैं।
व्यापार उद्यमियों को पूँजीवादी समाज में मौलिक रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है। कुछ लोग व्यापार उद्यमियों को या तो "राजनीतिक उद्यमियों" अथवा "बाजार उद्यमियों" के रूप में विभाजित करते हैं, जबकि सामाजिक उद्यमियों के प्रमुख उद्देश्यों में एक सामाजिक और/या पर्यावरणीय लाभ का निर्माण शामिल है।
Explanation:
वे कौन से कारक हैं जिन्होंने समाज में प्रबल वर्गों में परिवर्तन लाया।
Explanation:
उत्तर - मूल रूप से स्वतंत्रता के बाद भारत में ऐसे तीन कारक रहें हैं जिसने की नव धनाढ्य, उद्यमी तथा प्रबल वर्ग के रूप में परिवर्तन को संभव बनाया हैं। खैर इस परिवर्तन में सबसे प्रमुख कारक है 1950 से 1970 में प्रचलित किए गए भूमि सुधार नियम। जिसके कारण निचली वर्ग वाले किसानों को उनका हक मिल सका।
इसके अलावा दूसरा कारक है पट्टेदारी प्रथा को लुप्त करवाना। इससे भूमि हीन किसानों को अत्यधिक कारों से मुक्ति मिल गया। खैर परिवर्तन के लिए जिम्मेदार तीसरा औरत सबसे महत्वपूर्ण कारक है, ज़मीनों की हद बंदी। मूल रूप से इसके लिए देश के राज्यों सरकारों से आग्रह किया गया की, खाली पड़े ज़मीनों को भूमि हीन किसानों को दे दिया जाए। परंतु इसमें बाद के समय में काफी ज्यादा विवाद दिखाई पड़ा।