vigyapan ke badhte charan par nibandh
Answers
Answered by
41
विज्ञापन एक कला है । विज्ञापन का मूल तत्व
यह माना जाता है कि जिस वस्तु का
विज्ञापन किया जा रहा है उसे लोग पहचान
जाएँ और उसको अपना लें । निर्माता कंपनियों
के लिए यह लाभकारी है । शुरु – शुरु में घंटियाँ
बजाते हुए, टोपियाँ पहनकर या रंग – बिरंगे कपड़े
पहनकर कई लोगों द्वारा गलियों – गलियों में
विज्ञापन किए जाते थे । इन लोगों द्वारा
निर्माता कंपनी अपनी वस्तुओं के बारे में
जानकारियाँ घर – घर पहुँचा देते थी ।
विज्ञापन की उन्नति के साथ कई वस्तुओं में
क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ । समाचार – पत्र,
रेडियो और टेलिविजन का आविष्कार हुआ ।
इसी के साथ विज्ञापन ने अपना साम्राज्य
फैलाना शुरु कर दिया । नगरों में, सड़कों के
किनारे, चौराहों और गलियों के सिरों पर
विज्ञापन लटकने लगे । समय के साथ बदलते हुए
समाचार – पत्र, रेडियो – स्टेशन, सिनेमा के पट
व दूरदर्शन अब इनका माध्यम बन गए हैं ।
आज विज्ञापन के लिए विज्ञापनगृह एवं
विज्ञापन संस्थाएं स्थापित हो गई हैं । इस
प्रकार इसका क्षेत्र विस्तृत होता चला गया ।
आज विज्ञापन को यदि हम व्यापार की
आत्मा कहें, तो अत्युक्ति न होगी । विज्ञापन
व्यापार व बिक्री बढ़ाने का एकमात्र साधन है
। देखा गया है की अनेक व्यापारिक संस्थाएँ
केवल विज्ञापन के बल पर ही अपना माल बेचती
हैं । कुल मिलाकर विज्ञापन कला ने आज
व्यापार के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान
बना लिया है और इसलिए ही इस युग को
विज्ञापन युग कहा जाने लगा है । विज्ञापन के
इस युग में लोगों ने इसका गलत उपयोग करना भी
शुरु कर दिया है ।
यह माना जाता है कि जिस वस्तु का
विज्ञापन किया जा रहा है उसे लोग पहचान
जाएँ और उसको अपना लें । निर्माता कंपनियों
के लिए यह लाभकारी है । शुरु – शुरु में घंटियाँ
बजाते हुए, टोपियाँ पहनकर या रंग – बिरंगे कपड़े
पहनकर कई लोगों द्वारा गलियों – गलियों में
विज्ञापन किए जाते थे । इन लोगों द्वारा
निर्माता कंपनी अपनी वस्तुओं के बारे में
जानकारियाँ घर – घर पहुँचा देते थी ।
विज्ञापन की उन्नति के साथ कई वस्तुओं में
क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ । समाचार – पत्र,
रेडियो और टेलिविजन का आविष्कार हुआ ।
इसी के साथ विज्ञापन ने अपना साम्राज्य
फैलाना शुरु कर दिया । नगरों में, सड़कों के
किनारे, चौराहों और गलियों के सिरों पर
विज्ञापन लटकने लगे । समय के साथ बदलते हुए
समाचार – पत्र, रेडियो – स्टेशन, सिनेमा के पट
व दूरदर्शन अब इनका माध्यम बन गए हैं ।
आज विज्ञापन के लिए विज्ञापनगृह एवं
विज्ञापन संस्थाएं स्थापित हो गई हैं । इस
प्रकार इसका क्षेत्र विस्तृत होता चला गया ।
आज विज्ञापन को यदि हम व्यापार की
आत्मा कहें, तो अत्युक्ति न होगी । विज्ञापन
व्यापार व बिक्री बढ़ाने का एकमात्र साधन है
। देखा गया है की अनेक व्यापारिक संस्थाएँ
केवल विज्ञापन के बल पर ही अपना माल बेचती
हैं । कुल मिलाकर विज्ञापन कला ने आज
व्यापार के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान
बना लिया है और इसलिए ही इस युग को
विज्ञापन युग कहा जाने लगा है । विज्ञापन के
इस युग में लोगों ने इसका गलत उपयोग करना भी
शुरु कर दिया है ।
Answered by
8
कोई भी विज्ञापन किसी वस्तु अथवा अंदेश को जन जन तक पहुंचाने के लिए कराए जाते हैं। जब भी कोई नई चीज बाज़ार में आती है तो उसके विज्ञापन कराए जाते हैं।
विज्ञापन कई माध्यमों के द्वारा कराए जाते हैं। इस तकनीक के जमाने तो माध्यम और भी ज्यादा बढ़ गए हैं।
पहले के जमाने में अख़बार तथा रेडियो के माध्यम से विज्ञापन कराए जाते थे। इसके अलावा जगह जगह पोस्टर चिपकाए जाते थे।
अब उपरोक्त माध्यम के आलावा टेलीविजन, इंटरनेट, एसएमएस आदि के माध्यम से विज्ञापन होते हैं।
सोशल मीडिया के माध्यम से कंपनियां अपने वस्तुओं के विज्ञापन करती है। इसके अलावा गाड़ियों पर बैनर आदि लगा के भी विज्ञापन कराए जाने लगे हैं।
Similar questions