yuvavo mein bhatkaav kaaran aur nivaaran hindi essay
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मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
समाज ,देश या परिवार की अच्छाई या बुराई की पहचान के लिए उस समाज ,परिवार या देश की कुछ लोगो को उदाहरण के लिये लिया जाता है और उसी के अधर पर उसका आकलन किया जाता है .हमारे देश की युबा बर्ग को बदनाम करने के पीछे कुछ भटके युबाओ का हाथ होता है लेकिन बदनामी तो युबा बर्ग की होती है .तो ऐसी हालात में युबा बर्ग के अन्य सदस्सो की जिम्मेबारी बनती है की वे अपने बीच भटके साथियो को सुमार्ग पर लाने के लिए आगे आये.
अब आइये हम देखते है की आज के भटकते युबा बर्ग के पीछे वह कौन से कारण है जिनके चेलते युबा समाज के चन्द युबा अपनी सही रास्ते से भटक गए है .जब हम इसके पीछे कारणों को देखते है तो मुझे तो उन युबाओ के भटकाव के पीछे उनका कम मगर उनके माता -पिता का ज्यादा हाथ नजर अता है .अब आप कहेगे की भटकता तो युबा है तो ऐसी हालात में उनके माता पिता को कैसे दोष दिया जा सकता है .तो आइये हम इसकी कारणों का परताल करते है ताकि आप मेरी तर्क को सही करार दे सके ---------
कारण न० १ -- हमारे परिवार की संरचना पहले संयुक्त परिवार की थी .ऐसी हालात में परिवार के सभी सदस्य एक दुसरे के बच्चों का ख्याल अपनी बच्चों के तरह रखते थे .माता पिता अगर बहार भी रहते तो परिवार के अन्य लोग बच्चों के पढाई , उनके साथी -सांगतो और उनकी अन्य समस्याओ पर कड़ी नजर रखते थे .इस कारण जब वे युबा बनते थे तब तक तो वे पारिवारिक मूल्यों , आपसी समझ ,भाईचारा और सहिष्णुता की ज्ञान परिवार से पा लेते थे .उनमे सारी पारिवारिक गुणों की भरमार हो जाती थी .
आजकल हमारे समाज में संयुक्त परिवार का टूटना एक जबरदस्त कारण मैं मानता हूँ .
कारण न० २ --एकल पारिवारिक पद्धति का विकास .एकल परिवार में पति पत्नी और बच्चे .उनकी सोच समझ अपने तक ही सीमित रहती है .उनमे पारिवारिक मूल्यों जिनके रहने से उन्ही जीवन के सफर को तय करना है की लम्बी सफर के लिए आबस्यक शिक्षा नहीं मिल पाई.उनमे अपने तक सिमित रहने और अपनी भलाई , उन्नति तक की ही सोच का विकास हुआ .जो युबाओ के भटकाव का कारण बना .इन्ही पारिवारिक मूल्यों और स्थापित मान्यताओ के कारण यह कहा गया है की '' परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला है ''.
कारण न० ३ --- माता पिता का कामकाजी होना .आज के समाज में हर व्यक्ति अधिक से अधिक धनार्जन अपनी वुधि और छमता से करना चाहता है .इसके लिय पति पत्नी दोनों पढ़े लिखे होने के कारण नौकरी करना चाहते है और करते भी है ,जिसके कारण उनके पास समय नहीं होता की वे अपने बच्चो की पढाई पर पूरा ध्यान दे सके .उन्हें तो बस ये फिक्र रहती है की बच्चो की पढाई में किसी सामान की कमी न हो .उन्ही उनकी पढाई पर ध्यान देने का समय नहीं होता है.अपने बच्चो की पढाई के प्रति उदासीनता भी बच्चो को गलत रह ले जाता है लेकिन उसे भी माता पिता नजरंदाज कर देते है .
उस परिवार में तो आर्धिक सम्पन्ता तो अजाती है लेकिन उनके बच्चो में पारिवारिक मान्यताओ ,मूल्यों और शिक्षा का उस स्तर तक विकास नहीं हो पता है .
मेरे कहने का यह अर्थ नहीं है की सभी कामकाजी माता पिता के बच्चे पर यह फार्मूला लागु होता है .इसमे भी जो माता पिता अपने बच्चो की पढाई और पारिवारिक मूल्यों और संस्कारो की शिक्षा देते है उन मामलो पर यह लागु नहीं होता है .लेकिन सभी कामकाजी माता पिता ऐसा ही करते है यह भी लागु नहीं होता है .
कारण न ० ४ ----पेरेंट्स के द्वारा अपने बच्चों को बिना सोचे समझे महगे से महगे आधुनिक गदट्स को मुहैया करना .चाहे मोबाइल ,लेपटॉप हो या मंहगे बाएक येहाँ तक की फोर व्हीलर तक अपने बच्चों को स्कूल के स्तर की पढाई होते होते सुलभ करना अब एक सामान्य सी हो गयी है .इसके साथ साथ अब बच्चों को एक मुश्त मोटी राशी प्रति माह पॉकेट मनी दी जाती है जिससे उनमे बिना सोचे समझे खर्च करने की प्रविर्ती का बिकाश होता है .उन्हें यह समझ नहीं आता की पैसा कितना कठिन से कमाया जाता है.
माता पिता द्वारा बच्चों को कभी नहीं समझाया जाता है की पैसे कमाने में क्या तकलीफ होती है .
इस कारण मेरी नजर में बच्चों को बहकाने में उनके माता पिता का सबसे ज्यादा हाथ होता है. वे बिना सोचे समझे पैसा देते है और यह नहीं देखते है की उन पैसे का उनके बच्चें सही उपयोग कर रहे है या नहीं.
अगर बच्चों की चाल ढाल खारब हो जाता है और अगर कोई सम्बन्धी या आस परोस का ब्यक्ति उन्ही उनके बच्चों की शिकायत करते है तो उन बच्चो के माता पिता उसे उसी आदमी को भला बुरा कहते है .अगर उन माता पिता इस शिकायत को ध्यान दे कर अपने बच्चों पर नजर रख सुधार की कोशिश करते तो उनके बच्चे नहीं बीगड़ पते .
इसका एक बहुत बड़ा कारण है की इस भ्रष्टाचार के युग में अगर गौर करेगे तो साफ साफ पता चलेगा की एन बिग्रैल बच्चों में अधिकतर उनके बच्चे है जिन्होंने गलत तरीके से धन कमाया है .उन्हें गलत तरीके से धन कमाने से फुर्सत ही नहीं है की यह देखे की उनके बच्चे क्या करते है .उनकी पढाई कैसी चल रही है .उनकी संगती कैसे लडको के साथ है .उन्हें अच्छा और ख़राब की शिक्षा दे सके.
इस कारण मैं उनके माता पिता का ज्यादा दोष मानता हूँ .
कारण न ० ५ ---- इन्टरनेट का दुष्परिणाम .इन्टरनेट आज के समय का एक आवश्यक एवं अहम् हिस्सा पढाई का हो गया है . इन्टरनेट पर पढाई और ज्ञान की भरमार के साथ साथ आपत्ति जनक सामग्रियो की भी भरमार है .आज के माता पिता अपने बच्चों को कोम्पुटर और इन्टरनेट की सुबिधा को मुहैया इस कारण से कराते है की बच्चों की पढाई में काफी सहयोग मिलेगा. लेकिन ऐसा भी देखने को मिला है की बच्चों के द्वारा इसका दुरूपयोग किया जा रहा है.यह अलग बात है की परेंट्स को इन मामलो पर फी ध्यान देना चाहिए .लेकिन इससे अधिक आवशक यह है की बच्चें इन्टरनेट पर अनावश्यक आपत्तिजनक सामाग्रियो से अपने को दूर रखे .
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
समाज ,देश या परिवार की अच्छाई या बुराई की पहचान के लिए उस समाज ,परिवार या देश की कुछ लोगो को उदाहरण के लिये लिया जाता है और उसी के अधर पर उसका आकलन किया जाता है .हमारे देश की युबा बर्ग को बदनाम करने के पीछे कुछ भटके युबाओ का हाथ होता है लेकिन बदनामी तो युबा बर्ग की होती है .तो ऐसी हालात में युबा बर्ग के अन्य सदस्सो की जिम्मेबारी बनती है की वे अपने बीच भटके साथियो को सुमार्ग पर लाने के लिए आगे आये.
अब आइये हम देखते है की आज के भटकते युबा बर्ग के पीछे वह कौन से कारण है जिनके चेलते युबा समाज के चन्द युबा अपनी सही रास्ते से भटक गए है .जब हम इसके पीछे कारणों को देखते है तो मुझे तो उन युबाओ के भटकाव के पीछे उनका कम मगर उनके माता -पिता का ज्यादा हाथ नजर अता है .अब आप कहेगे की भटकता तो युबा है तो ऐसी हालात में उनके माता पिता को कैसे दोष दिया जा सकता है .तो आइये हम इसकी कारणों का परताल करते है ताकि आप मेरी तर्क को सही करार दे सके ---------
कारण न० १ -- हमारे परिवार की संरचना पहले संयुक्त परिवार की थी .ऐसी हालात में परिवार के सभी सदस्य एक दुसरे के बच्चों का ख्याल अपनी बच्चों के तरह रखते थे .माता पिता अगर बहार भी रहते तो परिवार के अन्य लोग बच्चों के पढाई , उनके साथी -सांगतो और उनकी अन्य समस्याओ पर कड़ी नजर रखते थे .इस कारण जब वे युबा बनते थे तब तक तो वे पारिवारिक मूल्यों , आपसी समझ ,भाईचारा और सहिष्णुता की ज्ञान परिवार से पा लेते थे .उनमे सारी पारिवारिक गुणों की भरमार हो जाती थी .
आजकल हमारे समाज में संयुक्त परिवार का टूटना एक जबरदस्त कारण मैं मानता हूँ .
कारण न० २ --एकल पारिवारिक पद्धति का विकास .एकल परिवार में पति पत्नी और बच्चे .उनकी सोच समझ अपने तक ही सीमित रहती है .उनमे पारिवारिक मूल्यों जिनके रहने से उन्ही जीवन के सफर को तय करना है की लम्बी सफर के लिए आबस्यक शिक्षा नहीं मिल पाई.उनमे अपने तक सिमित रहने और अपनी भलाई , उन्नति तक की ही सोच का विकास हुआ .जो युबाओ के भटकाव का कारण बना .इन्ही पारिवारिक मूल्यों और स्थापित मान्यताओ के कारण यह कहा गया है की '' परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला है ''.
कारण न० ३ --- माता पिता का कामकाजी होना .आज के समाज में हर व्यक्ति अधिक से अधिक धनार्जन अपनी वुधि और छमता से करना चाहता है .इसके लिय पति पत्नी दोनों पढ़े लिखे होने के कारण नौकरी करना चाहते है और करते भी है ,जिसके कारण उनके पास समय नहीं होता की वे अपने बच्चो की पढाई पर पूरा ध्यान दे सके .उन्हें तो बस ये फिक्र रहती है की बच्चो की पढाई में किसी सामान की कमी न हो .उन्ही उनकी पढाई पर ध्यान देने का समय नहीं होता है.अपने बच्चो की पढाई के प्रति उदासीनता भी बच्चो को गलत रह ले जाता है लेकिन उसे भी माता पिता नजरंदाज कर देते है .
उस परिवार में तो आर्धिक सम्पन्ता तो अजाती है लेकिन उनके बच्चो में पारिवारिक मान्यताओ ,मूल्यों और शिक्षा का उस स्तर तक विकास नहीं हो पता है .
मेरे कहने का यह अर्थ नहीं है की सभी कामकाजी माता पिता के बच्चे पर यह फार्मूला लागु होता है .इसमे भी जो माता पिता अपने बच्चो की पढाई और पारिवारिक मूल्यों और संस्कारो की शिक्षा देते है उन मामलो पर यह लागु नहीं होता है .लेकिन सभी कामकाजी माता पिता ऐसा ही करते है यह भी लागु नहीं होता है .
कारण न ० ४ ----पेरेंट्स के द्वारा अपने बच्चों को बिना सोचे समझे महगे से महगे आधुनिक गदट्स को मुहैया करना .चाहे मोबाइल ,लेपटॉप हो या मंहगे बाएक येहाँ तक की फोर व्हीलर तक अपने बच्चों को स्कूल के स्तर की पढाई होते होते सुलभ करना अब एक सामान्य सी हो गयी है .इसके साथ साथ अब बच्चों को एक मुश्त मोटी राशी प्रति माह पॉकेट मनी दी जाती है जिससे उनमे बिना सोचे समझे खर्च करने की प्रविर्ती का बिकाश होता है .उन्हें यह समझ नहीं आता की पैसा कितना कठिन से कमाया जाता है.
माता पिता द्वारा बच्चों को कभी नहीं समझाया जाता है की पैसे कमाने में क्या तकलीफ होती है .
इस कारण मेरी नजर में बच्चों को बहकाने में उनके माता पिता का सबसे ज्यादा हाथ होता है. वे बिना सोचे समझे पैसा देते है और यह नहीं देखते है की उन पैसे का उनके बच्चें सही उपयोग कर रहे है या नहीं.
अगर बच्चों की चाल ढाल खारब हो जाता है और अगर कोई सम्बन्धी या आस परोस का ब्यक्ति उन्ही उनके बच्चों की शिकायत करते है तो उन बच्चो के माता पिता उसे उसी आदमी को भला बुरा कहते है .अगर उन माता पिता इस शिकायत को ध्यान दे कर अपने बच्चों पर नजर रख सुधार की कोशिश करते तो उनके बच्चे नहीं बीगड़ पते .
इसका एक बहुत बड़ा कारण है की इस भ्रष्टाचार के युग में अगर गौर करेगे तो साफ साफ पता चलेगा की एन बिग्रैल बच्चों में अधिकतर उनके बच्चे है जिन्होंने गलत तरीके से धन कमाया है .उन्हें गलत तरीके से धन कमाने से फुर्सत ही नहीं है की यह देखे की उनके बच्चे क्या करते है .उनकी पढाई कैसी चल रही है .उनकी संगती कैसे लडको के साथ है .उन्हें अच्छा और ख़राब की शिक्षा दे सके.
इस कारण मैं उनके माता पिता का ज्यादा दोष मानता हूँ .
कारण न ० ५ ---- इन्टरनेट का दुष्परिणाम .इन्टरनेट आज के समय का एक आवश्यक एवं अहम् हिस्सा पढाई का हो गया है . इन्टरनेट पर पढाई और ज्ञान की भरमार के साथ साथ आपत्ति जनक सामग्रियो की भी भरमार है .आज के माता पिता अपने बच्चों को कोम्पुटर और इन्टरनेट की सुबिधा को मुहैया इस कारण से कराते है की बच्चों की पढाई में काफी सहयोग मिलेगा. लेकिन ऐसा भी देखने को मिला है की बच्चों के द्वारा इसका दुरूपयोग किया जा रहा है.यह अलग बात है की परेंट्स को इन मामलो पर फी ध्यान देना चाहिए .लेकिन इससे अधिक आवशक यह है की बच्चें इन्टरनेट पर अनावश्यक आपत्तिजनक सामाग्रियो से अपने को दूर रखे .
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