Hindi, asked by deepchoudhary6500, 11 months ago

बहुत घुटन है बंद घरों में, खुली हवा तो आने दो,
संशय की खिड़कियाँ खोल, किरनों को मुस्कान दो ।
ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं,
चमक-दमक, आपा-धापी है, पर जीवन का नाम नहीं
लौट न जाए सूर्य द्वार से, नया संदेशा लाने दो ।
हर माँ अपना राम जोहती, कटता क्यों वनवास नहीं
मेहनत की सीता भी भूखी, रुकता क्यों उपवास नहीं
बाबा की सूनी आँखों में चुभता तिमिर भागने दो

हर उदास राखी गुहारती, भाई का वह प्यार कहाँ ?
डरे-डरे रिश्ते भी कहते, अपनों का संसार कहाँ ?
गुमसुम गलियों को मिलने दो, खुशबू तो बिखराने

1.ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं se kavi ka kya ashya hai

Answers

Answered by BrainlyHeart751
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ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं se kavi ka yh ashay he ki har jagah bhavan building ban rhi he par khade hone tak ki jagah nhi he itni population bad gyi he isliye

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