BHAGAT SINGH KA JEEVAN PARICHAY IN 80-100 WORDS
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अमर शहीद सरदार भगत सिंह का नाम देश का बच्चा-बच्चा जानता है। जब भी अमर शहीद सरदार भगत सिंह का नाम लिया जाता है तो हमारे दिल में इनके लिए अपार श्रद्धा उमड़ जाती है और सिर सम्मान में झुक जाता है। शहीद भगत सिंह का नाम भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी में लिया जाता है। भगत सिंह ने देश की आज़ादी के लिए साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया।
इस महान देशभक्त का जन्म 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में एक सीख परिवार में हुआ था। यह जिला अब पाकिस्तान में है। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। इनका परिवार शूर वीरता के लिए माना जाता था I भगत सिंह जी बचपन से ही बहुत होशियार थे I इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की थीI 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के मन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला। उनका मन इस अमानवीय कृत्य को देखकर, देश को स्वतंत्र करवाने की सोचने लगा। बाद मैं वे क्रांतिकारियों से मिल गये और देश को आजाद कराने में जुट गये। भगत सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर क्रांतिकारी संगठन तैयार किया।
23 मार्च 1931 को शाम को भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फाँसी दे दी गई। फाँसी पर जाते समय वे तीनों मस्ती में यह गाना गा रहे थे -
“मेरा
रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे;
मेरा
रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला”
Answer:
bhagat singh ka janm panjabi ka laypur ka gau banga ma hua