"छाया मत छूना" कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि अतीत के सुखों की स्मृति में डूबे रहने से जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
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अतीत के सुखों की स्मृति में डूबे रहने से मन दुखी हो जाता है ।
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‘गिरजा कुमार माथुर’ द्वारा ‘छाया मत छूना’ कविता के संदर्भ में अतीत के सुखों की स्मृति में डूबे रहने से जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कवि कहता है कि वर्तमान की यथार्थ परिस्थितियों से विरत रहकर अतीत की सुखद स्मृतियों में डूबे रहना एक कल्पना लोक में विचरण करने के समान है।
अतीत की स्मृतियों में डूबे रहने से हम वर्तमान परिस्थितियों का सामना सरलता से नहीं कर पाते और यह वर्तमान परिस्थितियां हम पर हावी हो जाती हैं। जो वर्तमान है वही हमारा यथार्थ है और यथार्थ से मुंह मोड़ना कायरता के समान है। इसलिए हमें अपने वर्तमान से संघर्ष करते हुए उसके साथ अपना सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए। कवि ने यथार्थ से पलायन ना करके उसका सामना करने की बात पर जोर दिया है।
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