‘फेंक दो उन जिन्दा लाशों को, हिरोशिमा की वीरान धरती पर…।’ डॉक्टर सुजुकी के इस कथन में निहित पीड़ा को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
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डॉ. सुजुकी असंख्य घायलों और पीड़ितों का इलाज करते हुए बहुत अधिक थके-हारे और परेशान थे। तभी नागासाकी पर भी परमाणु बम डाले जाने की बात सुनकर उनका संवेदनशील हृदय पीड़ा से तड़प उठा। तब वे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहने लगे कि विज्ञान की शक्ति ही जब विनाश में लगी है तो डॉक्टरों और अस्पतालों का इस दुनिया में कोई काम नहीं रहा। इसीलिए वे अपने पेशे की गरिमा और प्रकृति के विपरीत यह कहने को विवश हो जाते हैं कि इन जिन्दा लाशों को हिरोशिमा की वीरान धरती पर फेंक दो या उन्हें जहर दे दो।
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