Hindi, asked by mohitkhanwale986, 9 months ago

निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
इन स्निग्ध लटों से छा दे तन
पुलकित अंकों में भर विशाल;
झुक सस्मित शीतल चुम्बन से
अंकित कर इसका मृदल भाल;
दुलरा दे ना, बहला दे ना
यह तेरा शिशु जग है उदास !
रूपसि तेरा घन-केश-पाश !

Answers

Answered by rajnr411
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इन पंक्तियों के द्वारा महादेवी वर्मा ने वर्षा रूपी सुंदरी को एक माता के रूप में दिखाने की कोशिश की है।

आइए हम इसका व्याख्या जानते हैं- वर्षा रूपी सुंदरी से निवेदन करती हैं कि, हे माता वर्षा सुंदरी आप स्वयं अपने कोमल बालों की छाया से इस पूरे संसार रूपी अपने मोहक शिशु को स्वीकार करते हुए समेट लो, सभी को अपने विशाल रूपी रोमांचित करती हुई गोद में उसके अति सुंदर रूपी माथे को अपने बादल स्वरूपी बालों से ढक कर अपने संपन्न युक्त हंसी से चूम लो। हे वर्षा रूप सुंदरी आपके बादल स्वरूप बालों की ठंड छाया से अति मधुर चुंबन से बच्चे का मन प्रसन्न होकर शीघ्र ही बहल जाएगा और उसकी उदासी तुरंत दूर हो जाएगी। हे बर्षा रूपी सुंदरी माता आपकी बादल स्वरूप काली बाल बहुत ही मोहक लग रही है।

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