"Question 4 निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए− 'शुद्ध सोने में ताबे की मिलावट या ताँबें में सोना', गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।
Class 10 - Hindi - पतझर में टूटी पत्तियाँ Page 122"
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कुछ लोगों का मत है कि गांधीजी प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट थे। वे व्यवहारिकता को पहचानते थे। उन्होंने केवल आदर्शों का सहारा नहीं लिया बल्कि वह आदर्शों के साथ-साथ व्यवहारिकता को मिला कर चले। लेखक के अनुसार इसके लिए गांधीजी ने कभी भी अपने आदर्शों की व्यवहारिकता के स्तर पर नहीं उतरने दिया। वह अपने आदर्शों को उसी ऊंचाई पर रखते थे उन्हें नीचे नहीं गिराते थे। उन्होंने व्यवहारिकता को ऊंचा उठाकर उसे आदर्शों की ऊंचाई तक पहुंचाया। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि उन्होंने कभी भी सोने में तांबा मिलाने की कोशिश नहीं की बल्कि तांबे में सोना मिला कर उसकी कीमत बढ़ाई। उन्होंने अपनी व्यवहारिकता को उठा-उठाकर आदर्शों के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
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आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।
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