‘तैं ही पूत अनोखौ जायौं'– पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
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तैं ही पूत अनोखौ जायौं'– पंक्तियों में ग्वालन के हृदय में यशोदा के लिए ईर्ष्या (जलन) की भावना व क्रोध के भाव मुख रित हो रहे हैं। जहाँ वे एक तरफ कृष्ण का यशोदा पुत्र होने की वजह से ईर्ष्या से ग्रसित हैं वहीं दूसरी और उसके द्वारा चोरी व सारा माखन खाने से क्रोधित हैं। इसलिए वह यशोदा माता को उलाहना दे रही हैं।
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टीपू तनु को जायो इस पंक्ति में ग्वालन यशोदा मां से के लिए श्री कृष्ण जैसा पुत्र पाना पर ईश्वर जाती हैं और श्रीकृष्ण के उनका माखन खाया उस पर क्रोध जताती हैं
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