Hindi, asked by prakashu4188, 1 year ago

prakritik aapda samasya ya samadhan

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Answered by RaviKumarNaharwal
8
आपदा को एक दुखद घटना, जैसे दुर्घटना, आग, आतंकवादी हमला या विस्फोट आदि जिनकी वजह से लोगों को भारी क्षति का सामना करना पड़ता है, के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। प्राकृतिक आपदा पृथ्वी की ऐसी प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा उत्पन्न होती है जो मनुष्य के लिए आर्थिक रूप से बेहद नुकसानदायक होने के साथ ही पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होती हैं। कुल मिलाकर यह जीवन और संपत्ति दोनो ही के लिए बहुत नुकसानदायक है। प्राकृतिक आपादाओं की वजह से कई लोग अपने निकटतम एवं प्रिय लोगों को खो देते हैं और खुद भी बेघर, बेसहारा हो जाते हैं एवं उनका जीवन एक दैनिक संघर्ष बन जाता है।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार

प्राकृतिक आपदाएं कई प्राकृतिक खतरों जैसे कि हिमस्खलन, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, बर्फ के तूफान, सूखा आदि के रूपों में प्रकट होती हैं। ये आपदाएं असहनीय विनाश करते हैं। प्राकृतिक आपदाओं के प्रति मानवों की अपर्याप्त तैयारी, उचित योजना का आभाव एवं आपदा प्रबंधन की कमी प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न संकटों को और बढ़ा देता है। जब भी किसी प्राकृतिक आपदा का हमला होता है पृथ्वी पर जीवन को अकल्पनीय क्षति पहुंचती है और सब कुछ एक पल में नष्ट कर देता है।

भारत में आपदा प्रबंधन

प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में मानवीय प्रतिक्रियों के दौरान उचित योजना एवं आपातकालीन प्रबंधन की आवश्यकता है। विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के बाद इनसे निपटने के लिए तैयारी की कमी बार-बार दृष्टिगोचर हुई है। वर्ष 2013 में जब उत्तराखंड में बाढ़ आई थी तो वहां कोई भी आपदा प्रबंधन की योजना लागू नही हो पाई भी। इस तथ्य के बावजूद कि पहाड़ी इलाके हमेशा प्राकृतिक आपदाओं के खतरे से घिरे रहते हैं, राज्य सरकारों ने कोई पर्याप्त तैयारी प्रदर्शित नहीं की है। मार्च 2013 में पेश एक नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जो 2007 में बनाई गई थी, ने 2008 से 2012 के बीच प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसी भी उपचारात्मक उपायों को लागू करने के लिए सुझावों एव उपायों के लिए कोई मीटिंग नहीं की। सीएजी की रिपोर्ट ने भी राज्य आपदा राहत निधि के उपयोग में व्यापक अनियमितताओं की ओर भी इशारा किया।

प्राकृतिक आपदाओं से कैसे निपटें?

जबरदस्त वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के बावजूद हमें वास्तव में यह पता नहीं चल पाता कि कब एवं कहां कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और हम इसे रोक नहीं सकते। लेकिन कुछ तैयारियों के द्वारा इनके प्रभावों को कम किया जा सकता है और साथ ही जीवन एवं संपत्ति के नुकसान को कुछ हद तक कम करने में कामयाबी हासिल की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर जैसा कि हम जानते हैं ग्लोबल वार्मिंग सभी समस्याओं की जड़ है और इसलिए जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पर्यावरण की रक्षा करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए एक अग्रिम चेतावनी प्रणाली विकसित किए जाने की आवश्यकता है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में लोगों को सुरक्षित निकासी के लिए भी प्रशिक्षित किए जाने की आवश्यकता है। ज्यादा से ज्यादा भूकंपरोधी भवनों का निर्माण हो इस दिशा में मजबूत प्रयास किया जाना चाहिए।

किसी भी प्राकृतिक आपदा के बाद, फिर से जीवन का पुन: निर्माण करने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है। लोगों को बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, भीषण आग या किसी भी अन्य प्राकृतिक आपदा की घटना के बाद उन्हें नुकसान के एवज में अपने मकान और सामान के लिए पहले से ही व्यापक बीमा कवरेज प्राप्त करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

Answered by ItzMrSwaG
22

Answer:

आपदा को एक दुखद घटना, जैसे दुर्घटना, आग, आतंकवादी हमला या विस्फोट आदि जिनकी वजह से लोगों को भारी क्षति का सामना करना पड़ता है, के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। प्राकृतिक आपदा पृथ्वी की ऐसी प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा उत्पन्न होती है जो मनुष्य के लिए आर्थिक रूप से बेहद नुकसानदायक होने के साथ ही पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होती हैं। कुल मिलाकर यह जीवन और संपत्ति दोनो ही के लिए बहुत नुकसानदायक है। प्राकृतिक आपादाओं की वजह से कई लोग अपने निकटतम एवं प्रिय लोगों को खो देते हैं और खुद भी बेघर, बेसहारा हो जाते हैं एवं उनका जीवन एक दैनिक संघर्ष बन जाता है।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार

प्राकृतिक आपदाएं कई प्राकृतिक खतरों जैसे कि हिमस्खलन, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, बर्फ के तूफान, सूखा आदि के रूपों में प्रकट होती हैं। ये आपदाएं असहनीय विनाश करते हैं। प्राकृतिक आपदाओं के प्रति मानवों की अपर्याप्त तैयारी, उचित योजना का आभाव एवं आपदा प्रबंधन की कमी प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न संकटों को और बढ़ा देता है। जब भी किसी प्राकृतिक आपदा का हमला होता है पृथ्वी पर जीवन को अकल्पनीय क्षति पहुंचती है और सब कुछ एक पल में नष्ट कर देता है।

भारत में आपदा प्रबंधन

प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में मानवीय प्रतिक्रियों के दौरान उचित योजना एवं आपातकालीन प्रबंधन की आवश्यकता है। विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के बाद इनसे निपटने के लिए तैयारी की कमी बार-बार दृष्टिगोचर हुई है। वर्ष 2013 में जब उत्तराखंड में बाढ़ आई थी तो वहां कोई भी आपदा प्रबंधन की योजना लागू नही हो पाई भी। इस तथ्य के बावजूद कि पहाड़ी इलाके हमेशा प्राकृतिक आपदाओं के खतरे से घिरे रहते हैं, राज्य सरकारों ने कोई पर्याप्त तैयारी प्रदर्शित नहीं की है। मार्च 2013 में पेश एक नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जो 2007 में बनाई गई थी, ने 2008 से 2012 के बीच प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसी भी उपचारात्मक उपायों को लागू करने के लिए सुझावों एव उपायों के लिए कोई मीटिंग नहीं की। सीएजी की रिपोर्ट ने भी राज्य आपदा राहत निधि के उपयोग में व्यापक अनियमितताओं की ओर भी इशारा किया।

प्राकृतिक आपदाओं से कैसे निपटें?

जबरदस्त वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के बावजूद हमें वास्तव में यह पता नहीं चल पाता कि कब एवं कहां कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और हम इसे रोक नहीं सकते। लेकिन कुछ तैयारियों के द्वारा इनके प्रभावों को कम किया जा सकता है और साथ ही जीवन एवं संपत्ति के नुकसान को कुछ हद तक कम करने में कामयाबी हासिल की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर जैसा कि हम जानते हैं ग्लोबल वार्मिंग सभी समस्याओं की जड़ है और इसलिए जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पर्यावरण की रक्षा करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए एक अग्रिम चेतावनी प्रणाली विकसित किए जाने की आवश्यकता है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में लोगों को सुरक्षित निकासी के लिए भी प्रशिक्षित किए जाने की आवश्यकता है। ज्यादा से ज्यादा भूकंपरोधी भवनों का निर्माण हो इस दिशा में मजबूत प्रयास किया जाना चाहिए।

किसी भी प्राकृतिक आपदा के बाद, फिर से जीवन का पुन: निर्माण करने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है। लोगों को बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, भीषण आग या किसी भी अन्य प्राकृतिक आपदा की घटना के बाद उन्हें नुकसान के एवज में अपने मकान और सामान के लिए पहले से ही व्यापक बीमा कवरेज प्राप्त करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

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