विशेष्य-विशेषणयोः योजनं कुरुत-
(क) भास्करे (क) अभिमुख:
(ख) जनः (ख) भास्वरम्
(ग) मणिम् (ग) जगच्चक्षुषि
(घ) जीविते (घ) अभिनिष्क्रान्तम्
(ङ) माम् (ङ) चञ्चले
Answers
विशेष्य-विशेषणयोः योजनं कुरुत-
(क) भास्करे (क) अभिमुख:
(ख) जनः (ख) भास्वरम्
(ग) मणिम् (ग) जगच्चक्षुषि
(घ) जीविते (घ) अभिनिष्क्रान्तम्
(ङ) माम् (ङ) चञ्चले
उत्तरम् ->
भास्करे = (ग) जगच्चक्षुषि
जनः = (क) अभिमुख:
मणिम् = (ख) भास्वरम्
जीविते = (ङ) चञ्चले
माम् = (घ) अभिनिष्क्रान्तम्
(क) भास्करे = (ग) जगच्चक्षुषि
(ख) जनः = (क) अभिमुख:
(ग) मणिम् = (ख) भास्वरम्
(घ) जीविते = (ङ) चञ्चले
(ङ) माम् = (घ) अभिनिष्क्रान्तम्
Explanation:
उत्तरम् -
विशेष्य - विशेषण
(क) भास्करे(सूरज, रवि) - जगच्चक्षुषि (जगत् की आँखें)
(ख) जनः(लोग) - अभिमुख: (मुँह फेरे हुए)
(ग) मणिम्(जौहर, रत्न) - भास्वरम् (उगते सूरज की चमक)
(घ) जीविते(ज़िंदा, जीवित लोग) - चञ्चले (अस्थिर, चपल)
(ङ) माम्(मैं) - (घ) अभिनिष्क्रान्तम् (संन्यासी बनने और आगे जाने के लिए घर छोड़ दिया)
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